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लेखनी प्रतियोगिता -26-May-2022 सर्वगुण सम्पन्न

           राजकुमार आज अपने बेटे हरीश को नशामुक्ति केन्द्र में छोड़कर आये थे। ऐसा करना उनकी मजबूरी थी। हरीश जब तक नशा नहीं कर लेता था तब तक उसे चैन नहीं आता था। वह उसकी इन आदतौ से अपने को ठगा मह सूस करते थे।


     वह अपने उस बेटे को नशा मुक्ति केन्द्र पर छोड़कर मन्दिर पहुँचे और वहाँ भगवान की मूर्ति के सामने खडे़ होकर  फफक फफक कर रोने लगे और भगवान को उलाहना देते हुए बोले," हे भगवान मैने ऐसा कौनसा बडा़ पाप किया था जिसकी मुझे इतनी बडी़ सजा दे रहे हो मैने आपसे आजतक शान्ति और संतोष के अलावा कभी कुछ नहीं मांगा। मैने आपसे कभी भी लक्ष्मी नहीं माँगी फिर यह इतनी आशान्ति मेरे जीवन में क्यौ?"

    " पहले तो आपने मेरी  सीता जैसी पत्नी को छीन लिया मै कुछ नहीं बोला और अब मेरे बेटे मे दुनिया के सारे अवगुण डाल दिये। मै अब कब तक चुप बैठा यह तमाशा देखता रहूँ। मेरा बेटा सर्व गुण सम्पन्न बना दिया बाह प्रभु आप तो यहाँ बैठे हर रोज छप्पन भोग खाते रहते हो। और हमे चैन की रोटी भी नसीब नही हौने देते हो। यदि तुम्हारा यही हाल रहा तो इस दुनियां में आपकी साख मिट्टी में मिल जायेगी। छप्पन भोग  की तो बात क्या कोई पानी भी नहीं पिलायेगा। मेरा कसूर तो बताओ। मैने आपको कब नही पूजा कब आपके स्वरूप को नहीं माना और आपने मुझे क्या दिया है।" इतना  कहकर  राजकुमार रोते रोते वहीं बैठ गया।

       राज कुमार आज स्वयं को अकेला महसूस कर रहा था। जब उसकी पत्नी नीरू का देहान्त हुआ था तब वह इतना दुःखी नहीं हुआ था क्यौकि तब उसके पास एक बेटा व एक बेटी की  जिम्मेदारी थी। 

       राज कुमार ने यह जिम्मेदारी निभाई बेटी को पढा़या और उसकी शादी करके ससुराल बहुत ही अच्छे से बिदा किया था। बेटे को शहर के अच्छे स्कूल में पढ़ने भेजा था ।और बेटा हरीश भी बहुत अच्छा पढ़ रहा था। वह हमेशा अपने स्कूल को टाँप करता था।

      राज कुमार बहुत खुश था वह अपनी पत्नी की तस्वीर के सामने खडे़ होकर कहता था," नीरू मै अपना कर्तब्य पूरी निष्ठा व ईमानदारी से पूरा करने की कोशिश कर रहा हूँ। मैने तुमसे जो बायदा किया था सब पूरा कर रहा हूँ। फिर भी कोई कमी होजाय तो छमा करना।

      परन्तु न जाने उनको किसी की ऐसी नजर लगी कि जैसे ही हरीश ने कालेज में कदम रखा और वह वहाँ पहुँचकर जुआ खेलने लगा। जब तक घर से पैसे मिलते ठीक था जब नहीं मिलते चोरी करने लगा। लड़कियौ को  छेड़ना यह सब करने लगा।

     एक बार लड़की छेड़ने के जुर्म में जेल गया  । राजकुमार को इसका पता दो दिन बाद लगा तब जमानत करबाई। अब वह शराब भी पीने लगा। एक एक सप्ताह तक घर से बाहर रहता। राजकुमार का जीवन नरक बनकर रह गया। अब वह जिन्दिगी से हार चुके थे।

    वह पत्नी की तस्वीर के सामने खडे़ होकर रोकर बोले," नीरू मुझे माँफ करना मै तेरा अपराधी हूँ। मै हरीश को सम्भाल नही सका। अब मुझे भी अपने भगवान से कहकर अपने पास बुलाले। अब इससे अधिक सहन नही कर पाऊँगा। तू मुझे जो सजा देना चाहे देदे परन्तु अपने पास बुलाले।

      आज राजकुमार दो दिन बाद हरीश से मिलने  नशामुक्ति केन्द्र गये तब मालूम हुआ कि वह तो यहाँ से मारपीट करके भाग गया। उन्हौनै उसे खोजने की बहुत कोशिश की परन्तच वह कहीं नही मिला।

      अन्त मेंउन्हौने दुःखी होकर अपनी कुछ सम्पत्ति एक बृद्धाश्रम को दान करदी और शेष बची सम्पत्ति को बेटी के नाम कर गये। इसके बाद उन्हौने जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त करली।

     जब यह बेटी को मालूम हुआ वह आई और उसने अपने पिता का अन्त्येष्टि संस्कार किया। इस तरह उनका बेटा सर्व गुण सम्पन्न होकर अपने बाप को आत्महत्या करने पर मजबूर करदेता है।

दैनिक प्रतियोगिता के लिए लिखी गयी रचना

नरेश शर्मा " पचौरी "
26/05/2022

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13 Comments

Kusam Sharma

01-Jun-2022 09:38 AM

Nice

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Naresh Sharma "Pachauri"

29-May-2022 10:58 AM

सभी को बहुत बहुत धन्यवाद जी

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Shnaya

28-May-2022 02:51 PM

बेहतरीन

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